936 करोड़ रुपये बढ़ा राजस्व फिर भी ऊर्जा निगम की हालत पतली, अब बिजली दर बढ़ोतरी की गुहार लगा रहा निगम
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इसी अप्रैल में ऊर्जा निगम बीते वर्ष की वित्तीय उपलब्धियों पर अपनी पीठ थपथपा रहा था। क्योंकि, वर्ष 2021-22 में निगम ने अब तक का सर्वाधिक राजस्व अर्जित किया, जोकि वित्तीय वर्ष 2020-21 से 936 करोड़ रुपये अधिक है। हैरानी की बात है कि बावजूद इसके निगम का घाटा कम नहीं हो पा रहा। अब निगम माली हालत खराब होने का रोना रो रहा है और इससे उबरने के लिए एक साल के भीतर दूसरी बार बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहता है। इसके लिए ऊर्जा निगम की ओर से टैरिफ रिवाइज कराने की कसरत भी चल रही है।पिछले दो माह से उत्तराखंड बिजली के संकट से जूझ रहा है। बिजली की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि और विद्युत उपलब्धता कम होने के कारण प्रदेशवासियों को रोजाना कटौती का दंश झेलना पड़ रहा है। ऐसे में बाजार से महंगी बिजली खरीदकर भी आपूर्ति सामान्य करने का प्रयास किया गया। ऊर्जा निगम प्रबंधन का कहना है कि मांग के सापेक्ष उपलब्धता बनाने के लिए रोजाना 10 से 15 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी जा रही है। इससे ऊर्जा निगम पर वित्तीय भार बढ़ता जा रहा है। अब इसी दलील को आधार बनाकर ऊर्जा निगम बिजली के दाम में एक साल के भीतर दोबारा बढ़ोतरी करने की बात कह रहा है। हालांकि, विद्युत अधिनियम-2003 के तहत एक साल में दो बार बिजली की दर नहीं बढ़ाई जा सकती, लेकिन ऊर्जा निगम इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है।
अब वित्तीय उपलब्धियों की बात करें तो आंकड़ों से साफ है कि ऊर्जा निगम का राजस्व साल दर साल बढ़ रहा है। बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में तो ऊर्जा निगम ने अब तक का सर्वाधिक 7673 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया। इतना ही नहीं, ऊर्जा निगम अधिक बचत का भी दावा कर रहा है।
वर्षवार राजस्व प्राप्ति
वित्तीय वर्ष, राजस्व (रुपये में)
- 2021-22, 7673 करोड़
- 2020-21, 6737 करोड़
- 2019-20, 6564 करोड़
- 2018-19, 6376 करोड़
- 2017-18, 6031 करोड़
135 करोड़ रुपये सरप्लस में रहा निगम
ऊर्जा निगम अप्रैल 2021 में 189 करोड़ के वित्तीय हानि में था, जबकि अप्रैल 2022 में 135 करोड़ रुपये सरप्लस में आ गया। इसके अलावा बीते वर्ष निगम ने समय से पूर्व क्रय बीजकों का भुगतान कर 41 करोड़ रुपये की बचत की।
बिजली की दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर निगम में मंथन जारी
बिजली की दरों में वृद्धि को लेकर ऊर्जा निगम के निदेशक मंडल की बैठक में भी चर्चा हुई। ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार का कहना है कि राज्य में बिजली की मांग चरम पर है, जबकि विद्युत उपलब्धता सामान्य के आसपास है। जो आपूर्ति सुचारू रखने के लिए बेहद कम है। ऐसे में रोजाना 10 से 15 करोड़ रुपये की बिजली बाजार से खरीदी जा रही है। इसका असर ऊर्जा निगम के बजट पर पड़ रहा है और माली हालत लगातार बिगड़ रही है। इसकी भरपाई के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी को टैरिफ रिवाइज करने की पिटीशन तैयार की जा रही है। प्रबंध निदेशक ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए बिजली दर में की गई वृद्धि नाकाफी है।
अन्य राज्यों में कोई बढ़ोतरी नहीं
देश के ज्यादातर राज्य पिछले कुछ समय से बिजली संकट से जूझ रहे हैैं। कोयले और गैस के दाम में बढ़ोतरी के कारण बाजार में बिजली के दाम बढ़े हैैं। हालांकि, अन्य राज्यों में बिजली खरीद से बढ़े बोझ की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं पर भार डालने पर विचार नहीं किया जा रहा है। वहीं, उत्तराखंड में ऊर्जा निगम विद्युत दर में आठ से 12 प्रतिशत की वृद्धि पर मंथन कर रहा है।