उत्तराखंड

देहरादून में अवैध निर्माण वैध करवाने से जुड़े 49 फीसदी नक्शे अटके


Deprecated: preg_split(): Passing null to parameter #3 ($limit) of type int is deprecated in /home/vhp40qgkonz4/public_html/wp-content/themes/jannah/framework/functions/post-functions.php on line 805

उत्तराखंड में पिछली सरकार ने अवैध भवनों को वैध कराने के लिए वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) स्कीम शुरू की थी। लेकिन, एमडीडीए में इससे जुड़े 49 फीसदी आवेदन लटके हुए हैं। भवन स्वामी पांच से दस हजार रुपये का आवेदन शुल्क जमा करने के बाद भी चक्कर काट रहे हैं। जबकि, इसकी समयसीमा 31 मार्च को पूरी होने जा रही है। अगर इन्हें मंजूरी नहीं मिली तो फीस भरकर भी लोग इस योजना से वंचित रह जाएंगे। कार्रवाई की तलवार अलग से लटकेगी।

एमडीडीए में अब तक ओटीएस स्कीम के तहत कुल 3191 में से 2316 आवासीय नक्शे जमा हुए हैं। इनमें से 1277 ही मंजूर किए गए। जबकि, 485 नक्शे प्रक्रियाधीन हैं और 554 आवेदन निरस्त हुए हैं। इसके अलावा, 875 कॉमर्शियल नक्शे भी जमा हैं, जिनमें से 356 पास हुए, 203 मामलों में प्रक्रिया जारी है और 316 नक्शे निरस्त किए गए। 31 मार्च को ओटीएस स्कीम की समयसीमा खत्म होने जा रही है। लिहाजा, उन भवन मालिकों की चिंता बढ़ गई है, जिनके नक्शे अब तक मंजूर नहीं हो पाए हैं और जिन्होंने आवासीय भवनों के लिए 5015 रुपये एवं कॉमर्शियल भवनों के लिए 10,015 रुपये आवेदन शुल्क जमा किया है।

कोरोना संकट के कारण बहुत कम लोगों ने ओटीएस स्कीम के तहत नक्शे जमा करवाए। इसके अलावा जनवरी 2021 से बाद के नक्शे इस योजना में शामिल नहीं हो पाए। इसलिए, राजस्व न घटे और ज्यादा लोग इस स्कीम का लाभ उठा सकें, इसके लिए सरकार से समयसीमा बढ़ाने की मांग की जाएगी।

-अरविंद वर्मा, अध्यक्ष-एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल इंजीनियर एंड टेक्निकल

ओटीएस स्कीम की समयसीमा आगे नहीं बढ़ी तो बड़ी संख्या में भवन मालिक इस योजना के लाभ से वंचित हो जाएंगे। उपाध्यक्ष के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजकर छह माह समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है।


Deprecated: preg_split(): Passing null to parameter #3 ($limit) of type int is deprecated in /home/vhp40qgkonz4/public_html/wp-content/themes/jannah/framework/functions/post-functions.php on line 805

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button