उत्तराखंड

हटाए कर्मचारी धरने पर, स्टाफ की कमी से आईसीयू-वार्डों का बुरा हाल


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 दून अस्पताल में कोरोना में रखे गए 612 कर्मचारियों को हटाए जाने के बाद यहां पर स्थिति विकराल होने लगी है। हटाए कर्मचारी जहां अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे हैं, वह बीमार पड़ने लगे हैं। उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। आईसीयू ऑपरेशन थिएटर और वार्डों की स्थिति बदहाल है। घंटो तक मरीज को इलाज नहीं मिल पा रहा है। बुधवार को हिंदुस्तान में जब जायजा लिया तो इमरजेंसी में करीब 6-7 मरीज लेटे हुए थे उनका कहना था कि 20 से 30 मिनट हो गई है लेकिन अभी तक 1-2 इंटर्न आए थे कोई सीनियर स्टाफ देखने नहीं आया। दो मरीज को तो कैनुला भी नहीं लगाया गया है। ईसीजी के लिए कई बार कह दिया गया लेकिन कोई नहीं आया। ऑपरेशन थिएटर का यह हाल है कि एक स्टाफ की सर्जरी होनी थी, लेकिन कर्मचारी कम थे। ढूंढे नहीं मिला। हटाया गया कर्मचारी ही दौड़ कर अपने साथी के लिए आया और ओटी टीम में शामिल हो गया।

वही कई नर्सिंग स्टाफ भी मदद को आगे आई। ऐसे ही हाल अपर आयुष्मान में थे यहां पर 2 मरीजों की हालत खराब हो रही थी, तो नर्स दूसरे वार्डो से स्टाफ को बुला रही थी। इमरजेंसी के बगल में आईसीयू में बुरे हाल है, यहां पर एक बुजुर्ग सिस्टर इंचार्ज है। वह दो साथियों के साथ काम कर रही है। यहां पर नाइट ड्यूटी पिछले 15 दिनों से वहीं स्टाफ कर रहा है, जिससे दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मानसिक रोग विभाग वार्ड में 18 बेड है, लेकिन एक ही सिस्टर इंचार्ज यहां पर है उन्हें अपनी आंख बनवानी है लेकिन छुट्टी ही नहीं मिल पा रही। ऐसे ही हाल सर्जरी वार्ड के हैं यहां पर इंटर्न मरीजों की देखभाल करने पर लगे हैं मेडिसिन का हाल भी ऐसा ही है, यहां दो नर्सिंग स्टाफ है कहती है कि कर्मचारी ही नहीं है तो कैसे काम होगा। इसके अलावा इन सभी वार्डो में वार्ड ब्वॉय के हालात बेहद बुरे हैं कहीं पर एक वार्ड बॉय हैं तो कहीं पर दो। जबकि हर वार्ड में 5 से 6 वार्ड ब्वॉय की जरूरत है, यहां मरीजों को शिफ्ट करने दवाई लाने उनके सैंपल लाने ले जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधन दावे तो कर रहा हैं लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा।

 सामाजिक कार्यकर्ता सुशील त्यागी और यशवीर आर्य कहते हैं कि दून अस्पताल का इस तरह का हाल दुर्भाग्यपूर्ण है मरीजों की सुध लेने के लिए सरकार को तत्काल एक्शन लेना चाहिए। एमएस डॉ केसी पंत कहते हैं कि कर्मचारियों के हटने से दिक्कतें जरूर हुई है लेकिन हालात इतने बुरे भी नहीं है। सीमित स्टाफ में संचालन किया जा रहा है हर वार्ड में 6 से 7 नर्सिंग स्टाफ दिए गए हैं। वार्ड बॉय की थोड़ी दिक्कत है फिर भी दो-दो वार्ड बॉय उपलब्ध करा दिए गए हैं नियमित स्टाफ को इस मुश्किल के समय में थोड़ा अतिरिक्त काम करने के लिए कहा गया ह। प्राचार्य शासन स्तर पर अतिरिक्त स्टाफ की व्यवस्था के लिए लगे हुए हैं। 26 बेड का आईसीयू 15 बेड का सर्जरी आईसीयू, 35 बेड का पीआईसीयू संचालित किया गया है। गंभीर मरीजों को दिक्कत न आए इसके लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं।


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