उत्तराखंड में सरिया और रेत के बाद अब ईंट भी महंगी
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उत्तराखंड में ईंट भी महंगी हो गई है, इससे मकान बनाने वालों को प्रति ट्रक लगभग साढ़े तीन हजार रुपये तक अतिरिक्त देना होगा। गौरतलब है कि सरिया और रेत के रेट भी हाल ही में बढ़े हैं।
केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य जीएसटी विभाग ने ईंट पर टैक्स बढ़ा दिया है। डिप्टी कमिश्नर प्रीति मनराल के अनुसार, ईंट निर्माताओं को अब पांच की बजाय 12 फीसदी टैक्स देना होगा। निर्माताओं के लिए समाधान स्कीम को भी खत्म कर दिया गया है। इस स्कीम में शामिल निर्माताओं को फार्म-तीन भरकर उसे 30 दिन के भीतर विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा। उन्होंने बताया कि ट्रेडर के लिए समाधान स्कीम जारी रहेगी, जिसमें 75 लाख तक के टर्नओवर पर एक फीसदी शुल्क देना होगा।
जितनी बढ़ेगी दूरी, उतना ही भाड़ा बढ़ेगा
रुड़की के ईंट निर्माता नरेश त्यागी का कहना है कि सामान्यतौर पर एक ट्रक में सात हजार ईंटें भेजी जाती है। अब यह ट्रक दून ले जाने पर लगभग साढ़े तीन हजार रुपये तक महंगा हो जाएगा। दूरी जितनी बढ़ेगी, भाड़ा भी उसी हिसाब से बढ़ जाएगा। विदित है कि इससे पहले सरकार ने दून समेत आसपास के क्षेत्रों में हिमाचल से आने वाली रेत-बजरी और बोल्डर पर रोक लगी दी है। इससे यह निर्माण सामग्री भी महंगी हो चुकी है। सरिया के दामों में पहले से ही उछाल चल रहा है। इससे आम लोगों के सामने मकान बनाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है।
बीपी और शुगर की दवाओं की कीमत दस फीसदी बढ़ी
दिल, शुगर, ब्लड प्रेशर के अलावा अन्य बीमारियों की दवाई के दाम एक अप्रैल से दस फीसदी बढ़ गए हैं। दाम बढ़ने के इंतजार में दवा कंपनियों ने आपूर्ति कम कर दी थी। अब आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है। नियमित दवा का सेवन करने वाले मरीजों पर 50 से 100 रुपये ज्यादा दाम चुकाने होंगे। होलसेल केमिस्ट एसो. के जिलाध्यक्ष मनीष नंदा, कैमिस्ट एसो. के महानगर अध्यक्ष नवीन खुराना ने कहा कि औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एमपीपीए) ने 800 जरूरी दवाओं के दाम बढ़ाए हैं। यह बढ़ोतरी 10.76 फीसदी तक है। सूचीबद्ध जरूरी दवाओं की मूल्य वृद्धि हर वर्ष होती है। इस बार मूल्य वृद्धि अब तक की सर्वाधिक है। पहले मूल्य वृद्धि प्रति वर्ष एक से दो फीसदी होती थी। इस बार 10.76 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। कंपनियों ने इसका तर्क कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि बताई जा रही है। नई मेन्यूफेक्चर होने वाली दवाओं पर रेट बढ़कर आने शुरू हो गए हैं। महंगी होने जा रही दवाओं में बुखार में इस्तेमाल होने वाली दवा पैरासिटामोल भी शामिल है। एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फेनोबार्बिटोने जैसी दवाएं भी महंगी हो रही हैं।